Saturday 6 October 2012

स्व -यात्रा

आज भी सुबह 6 बजे उठा , जो हिस्से जिन्दगी से कट जाते है,उन्हें जेहन में रखना सचमुच कितना कष्टप्रद होता है, ये वही जान  सकता है, जो इस असह्य पीड़ा से दो चार करता है।

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